श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लोगो जारी; धनुर्धर प्रभु श्रीराम के साथ भक्त वत्सल हनुमान का चित्र

हनुमान जयंती के मौके पर बुधवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपना लोगो जारी किया। इस लोगो में धनुषधारी प्रभु राम के चित्र को केंद्र में रखा गया है। साथ ही उनके परमभक्त बजरंगी बली को भी स्थान मिला है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा- लोगो के केंद्र में धनुषधारी प्रभु राम का चित्र है। जबकि, साइड में हनुमानजी हैं। प्रभु राम व हनुमान जी हमारी सदैव रक्षा करेंगे।


 


लोगो की अपनी विशेषता
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का लोगो (अमूर्त चित्र) भी विशेष है। इसमें प्रभु राम की सौम्य छवि है। जिनके ऊपर वलयाकार ऊपरी परिधि पर में ट्रस्ट का नाम लिखा हुआ है। नाम के पूर्व व नाम के समापन पर हनुमानजी का चित्र है। लोगो में सूर्य की तेजवान किरणें भी हैं। आधार पर रामो विग्रहवान धर्म: अंकित है। यानी राम धर्म का साकार रूप हैं।


84 कोसी परिक्रमा स्थगित, घरों पर प्रभु राम के विग्रह की अर्चना करें श्रद्धालु


विश्व हिंदू परिषद ने बस्ती जिले के मखौड़ा से शुरू होने वाली 84 कोसी परिक्रमा को स्थगित कर दिया है। परिषद ने बुधवार को अपने घरों में प्रभु राम के विग्रह अथवा चित्र की परिक्रमा कर इसे सांकेतिक तौर पर पूरी करने को कहा है। मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में पड़ने वाले 24 धार्मिक विश्राम स्थलों के प्रभारियों से कहा गया है कि वे अपने इलाके के श्रद्धालुगण से सांकेतिक तौर पर इसे अपने घरों में पूरा करने के लिए अपील जारी करें। आज के दिन घरों में ही हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का पाठ करके पूरे इलाके में ईश्वर से प्रार्थना करें की कोरोना जैसी महामारी से देश को जल्दी मुक्ति मिले।


 


हनुमान जयंती उत्सव भी टला, मंदिरों में लगे भोग


84 कोसी परिक्रमा मखोड़ा से शुरू होनी थी, जो अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, बाराबंकी आदि जिलों से होकर अयोध्या में समाप्त होती है। कोरोनावायरस संकट के चलते विश्व हिंदू परिषद ने सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है। विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा- कोरोना संकट के कारण इस साल परिक्रमा स्थगित कर दी गई है जो अगले साल पूरी भव्यता के साथ निकली जाएगी। संतों ने कहा कि कोरोना संकट के कारण हनुमान जयंती का उत्सव भी स्थगित कर दिया गया है पर मंदिरों में हनुमान जी की पूजा अर्चना आरती राग भोग के कार्यक्रम चलेंगे।


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कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। ऐसे में वह दुखी हो गया। एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा। दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी। गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है। उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई। गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था। सारी जरूरी देखभाल करता था। इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी। लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा। कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था। लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी। लड़का खुश हो गया। इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया। संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था। इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी। जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा। ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है। ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए। निराश होने से बचें।
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