लॉकडाउन से बिगड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने और मांग बढ़ाने के लिए एक और राहत पैकेज दे सकती है सरकार

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के बाद के बनने वाले हालातों पर पर नजर रख रही है। इसके अलावा सरकार लॉकडाउन का कारण गिरी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए एक और राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है। इस दिशा में सरकार विचार कर रही है। हालांकि अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। यह जानकारी रविवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। अधिकारी का कहना है कि सरकार लॉकडाउन के बाद 15 अप्रैल से पैदा होने वाले हालातों पर पूरी तरह से फोकस कर रही है।



मांग बढ़ाने के लिए उठाए जा सकते हैं कदम
अधिकारी का कहना है कि राहत पैकेज को लेकर सरकार के स्तर पर विचार हुआ है, लेकिन इस पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अधिकारी के अनुसार लॉकडाउन के कारण आई मंदी से निकलने के लिए मांग बढ़ाने को लेकर कदम के लिए यह विचार आया है। इसलिए इस दिशा में कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। यदि सरकार की ओर से कोई राहत पैकेज की घोषणा की जाती है तो यह कोरोनावायरस से पैदा हालातों से निपटने की दिशा में तीसरा बड़ा कदम होगा।



वेलफेयर और सरकारी योजना में हो सकता है बदलाव
अधिकारी के अनुसार लॉकडाउन के बाद के हालातों से निपटने के लिए सरकार कुछ वेलफेयर और सरकारी स्कीम्स में बदलाव कर सकती है। इसके अलावा सरकार मंत्रालयों की ओर से स्कॉलशिप और फैलोशिप, रबी फसल की कटाई समेत अन्य विकल्पों के जरिए मदद पर भी विचार कर रही है। सरकार ने कोरोनावायरस से पैदा हालातों से निपटने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के 10 ग्रुप बनाए हैं। इसमें से 1 ग्रुप को आर्थिक सुधार के सुझाव देने के लिए कहा गया है। इसके अलावा मंत्रियों का एक अनौपचारिक ग्रुप भी लॉकडाउन से पैदा हुए विभिन्न हालातों पर विचार कर रहा है।



24 मार्च को हुई थी लॉकडाउन की घोषणा
कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को रात 8 बजे पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने पर जोर दिया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करदाताओं और कारोबारियों के लिए कई राहतों की घोषणा की थी। इसके दो दिन बाद ही वित्त मंत्री ने लॉकडाउन से प्रभावित आम लोगों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी।



देश में कोरोना से अब तक 4397 लोग संक्रमित
देश में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 4 हजार 397 हो गई है। रविवार को सबसे ज्यादा 605 मामले सामने आए। महाराष्ट्र में 150 से ज्यादा, आंध्रप्रदेश में 34, गुजरात में 14, मध्यप्रदेश में 14, हिमाचल में 7, राजस्थान में 6, पंजाब में 3, कर्नाटक-ओडिशा में 2-2 और झारखंड में 1 मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। ये आंकड़े covid19india.org वेबसाइट के मुताबिक हैं। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, सोमवार सुबह 9 बजे तक संक्रमितों की संख्या 4 हजार 67 है। इनमें से 291 ठीक हो चुके हैं, जबकि 109 मरीजों की मौत हुई है।


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कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। ऐसे में वह दुखी हो गया। एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा। दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी। गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है। उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई। गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था। सारी जरूरी देखभाल करता था। इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी। लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा। कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था। लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी। लड़का खुश हो गया। इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया। संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था। इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी। जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा। ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है। ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए। निराश होने से बचें।
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