लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम भरने के लिए मिलेगा 30 दिन का अतिरिक्त समय, नहीं देनी होगी पेनल्टी

कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन के कारण लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए बीमा रेगुलेटर इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडा) ने जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत दी है। इरडा ने जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को प्रीमियम भुगतान के लिए 30 दिन का और समय दिया है। इसका फायदा उन पॉलिसीधारकों  जिनके नवीकरण की तारीख मार्च और अप्रैल में पड़ती है, उन्हें प्रीमियम भुगतान के लिए 30 दिन का अतिरिक्त समय मिलेगा।



इरडा ने कहा कि जहां यूनिट से जुड़ी पॉलिसियां 31 मई, 2020 तक परिपक्व हो रही हैं और कोष मूल्य का भुगतान एकमुश्त करने की जरूरत है, बीमा कंपनियां संबद्ध प्रावधानों के तहत ‘निपटान विकल्प’ की पेशकश कर सकती हैं।



मोटर और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम भरने के लिए दिया अतिरिक्त समय
इससे पहले इरडा ने थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम भरने की तारीख लॉकडाउन के दौरान यानी 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच पड़ रही है वे 21 अप्रैल या उससे पहले अपनी पॉलिसी की प्रीमियम भर सकेंगे। ऐसे में उनसे किसी भी प्रकार की पेनाल्टी नहीं ली जाएगी। वहीं हेल्थ पॉलिसी की प्रीमियम भरने के लिए भी सरकार में 21 अप्रैल तक की छूट दी है। सरकार में लॉकडाउन के कारण लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए और लोगों को राहत देने के लिए यह कदम उठाया है।


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कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। ऐसे में वह दुखी हो गया। एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा। दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी। गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है। उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई। गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था। सारी जरूरी देखभाल करता था। इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी। लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा। कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था। लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी। लड़का खुश हो गया। इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया। संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था। इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी। जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा। ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है। ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए। निराश होने से बचें।
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