ईरान और अमेरिका (Iran and America) जैसे दो तेल उत्पादक देशों में टकराव का असर सिर्फ उन दोनों पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि भारत के लिए ये टकराव कितना खतरनाक है?
ईरान और अमेरिका जैसे दो तेल उत्पादक देशों में टकराव का असर सिर्फ उन दोनों पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि भारत के लिए ये टकराव कितना खतरनाक है?
शुक्रवार सुबह से दोनों देशों के बीच आई तनाव की खबरों के बाद ही कच्चे तेल की कीमतों में 4% का उछाल देखा गया. भारत अपनी जरूरत का 83% तेल आयात करता है.
दोनों देशों के टकराने का असर दुनिया भर के शेयर मार्केट पर दिखेगा. भारत भी असर से नहीं बच सकता है. आज ही बीएसई जहां 162.03 अंक गिरा तो निफ्टी में 55.55 अंकों की गिरावट दर्ज हुई.
आर्थिक अनिश्चितता के दौरान में निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्प खोजेंगे. इसके चलते सोना और महंगा हो सकता है.
जब कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होगा. तेल के दाम बढ़ने से महंगाई में इजाफा होगा. इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा.
जब सरकार की आमदनी कम और खर्चा बढ़ेगा तो वित्तीय घाटा पर असर साफ दिखाई देगा. 30 नवंबर तक देश का वित्तीय घाटा 8.07 लाख करोड़ रुपए है.
भारत जैसे देश जो चालू घाटे का सामना कर रहे हैं, उनके लिए भी अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ता तनाव परेशान बढ़ा सकता है.